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pitru paksha में गया में पिंडदान करने से चार गुना पुण्य मिलता है; घर पर ऐसे करें श्राद्ध पूजा, पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देंगे

pitru paksha में गया में पिंडदान करने से चार गुना पुण्य मिलता है; घर पर ऐसे करें श्राद्ध पूजा, पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देंगे

pitru paksha

लोग पहले से ही कर्मकांड की योजना बनाने लगते हैं, भले ही pitru paksha को आने में अभी लगभग आठ दिन का समय बाकी है। हिंदू धर्म में पिंडदान का विशेष महत्व है और गया में पिंडदान करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है। गया में पिंडदान करने से चार गुना पुण्य मिलता है, ऐसा माना जाता है। पिंडदान का धार्मिक महत्व और इससे मिलने वाला पुण्य गया में अद्वितीय हैं। हालाँकि, अगर कोई नहीं जा सकता, तो पितर घर में विधिपूर्वक श्राद्ध पूजा, तर्पण और पिंडदान करके भी तृप्त हो सकते हैं। पितरों की तृप्ति के लिए नियमित पूजा और श्रद्धा सबसे प्रभावी होती है।

गया मंत्रालय वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य ने कहा कि गया में पिंडदान करना विशेष रूप से शुभ और फलदायी माना जाता है। माना जाता है कि भगवान विष्णु स्वयं गया में रहते हैं और पितर को वहाँ पिंडदान करने से मोक्ष मिलता है। पुराणों में भी गया का उल्लेख है, जहां भगवान राम ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था। तब से, यह स्थान पितरों को खुश करने के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान माना जाता है। पंडित जी कहते हैं कि गया में पिंडदान करने से चार गुना पुण्य मिलता है क्योंकि यह स्थान माता सीता और भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है। पिंडदान का प्रभाव यहां की ऊर्जा और दिव्यता से कई गुना बढ़ जाता है।

पितरों को खुश करने के लिए घर में श्राद्ध पूजा है महत्वपूर्ण

पंडित जी ने कहा कि घर में श्राद्ध पूजा करना पितरों की प्रसन्नता का एक महत्वपूर्ण उपाय है। श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन देना और पितरों के नाम पर दान देना बहुत पुण्यकारी माना जाता है। अगर गया में पिंडदान किसी कारणवश नहीं हो सकता, तो घर में विधिपूर्वक श्राद्ध पूजा करने से भी पितर तृप्त हो सकते हैं। घर में पिंडदान और तर्पण भी कर सकते हैं, जो तिल, जल और जौ से पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करते हैं। पवित्र नदी के किनारे या घर के किसी शुद्ध स्थान पर यह पूजा की जाती है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए दीपदान करना भी एक प्रभावी उपाय है। श्राद्ध के दिन तुलसी के पौधे के पास या घर के आंगन में घी का दीपक जलाना शुभ है। इससे पितर खुश हो जाते हैं और आशीर्वाद देते हैं।

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